Toll Tax: टोल टैक्स को लेकर बड़ा अपडेट! अब जून से शुरू हो गई है ये व्यवस्था

Toll Tax: देश में टोल व्यवस्था में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। 1 जून से पूरे भारत में फास्टैग व्यवस्था बंद हो जाएगी। इसकी जगह अत्याधुनिक GNSS आधारित टोल कलेक्शन व्यवस्था लागू की जाएगी। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आधिकारिक तौर पर इसकी मंजूरी दे दी है। टोल कलेक्शन को और अधिक स्मार्ट, पारदर्शी और सुविधाजनक बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

अब कैसे वसूला जाएगा टोल टैक्स?

नई व्यवस्था में टोल प्लाजा पर कतार में लगने या फास्टैग रिचार्ज कराने की जरूरत खत्म हो जाएगी। वाहन में लगी ऑनबोर्ड यूनिट (OBU) के जरिए सैटेलाइट से आपके वाहन की लोकेशन और दूरी को ट्रैक किया जाएगा। इसके मुताबिक, टोल रूट पर जितनी दूरी तय की जाएगी, उतना ही टोल शुल्क आपसे काटा जाएगा। यानी अब तय शुल्क की जगह दूरी के आधार पर टोल वसूला जाएगा।

फास्टैग का सफर और अब अंत

2016 में शुरू की गई फास्टैग प्रणाली का उद्देश्य टोल बूथों पर भीड़ और भुगतान में देरी को कम करना था। इस तकनीक ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया, लेकिन समय के साथ इसमें सुधार की जरूरत महसूस की गई। अब GNSS आधारित प्रणाली से यह प्रक्रिया और भी उन्नत, तेज और विश्वसनीय हो जाएगी।

कब लागू होगी नई प्रणाली?

सरकार ने जानकारी दी है कि GNSS आधारित टोल संग्रह प्रणाली जल्द ही चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू की जाएगी। इसे अप्रैल 2025 में शुरू किया जाना था, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे 1 जून से लागू करने की योजना है। 15 दिनों के भीतर नई टोल नीति की घोषणा भी की जा सकती है, जिससे यातायात में सुधार होगा।

GNSS टोल प्रणाली की कार्यप्रणाली

इस नई तकनीक में फास्टैग की तरह किसी RFID स्टिकर की जरूरत नहीं होगी। वाहन में GNSS आधारित डिवाइस लगाई जाएगी जो सैटेलाइट के जरिए आपकी यात्रा की दूरी को मापेगी। यह प्रणाली टोल रूट पर हर वाहन की आवाजाही को रियल टाइम में ट्रैक करेगी और उसके हिसाब से शुल्क काटेगी।

भुगतान का तरीका क्या होगा?

नया सिस्टम सीधे आपके बैंक अकाउंट या डिजिटल वॉलेट से जुड़ा होगा। जैसे ही आपका वाहन टोल रूट से गुजरेगा, उसी समय आपके अकाउंट से संबंधित राशि कट जाएगी। प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों तरह के भुगतान विकल्प उपलब्ध होंगे, ताकि हर यूजर को सुविधा मिल सके और लेन-देन पूरी तरह पारदर्शी हो।

मौजूदा फास्टैग यूजर्स के लिए बदलाव

जो लोग पहले से फास्टैग का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें अभी परेशान होने की जरूरत नहीं है। नई व्यवस्था सबसे पहले कुछ चुनिंदा रूट पर शुरू की जाएगी। शुरुआत में यह वैकल्पिक होगी, लेकिन धीरे-धीरे इसे पूरे देश में अनिवार्य कर दिया जाएगा। इसलिए वाहन मालिकों को सलाह दी जा रही है कि वे समय रहते जीएनएसएस डिवाइस लगवा लें।

डिवाइस लगवाने में आसानी

सरकार ने इस नई तकनीक के लिए ऑनबोर्ड यूनिट की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। वाहन मालिक किसी भी अधिकृत केंद्र पर अपने वाहन में यह डिवाइस लगवा सकते हैं। इससे देशभर में टोल कलेक्शन का काम और बेहतर तरीके से संचालित होगा।

इससे क्या लाभ होंगे?

जीएनएसएस आधारित टोल संग्रह से टोल बूथों पर भीड़ कम होगी और ट्रैफिक जाम में सुधार होगा। इसके अलावा, दूरी के आधार पर टोल संग्रह होने से यात्रियों को सही और पारदर्शी शुल्क देना होगा। इससे भ्रष्टाचार और गलत संग्रह की संभावना भी खत्म हो जाएगी, जिससे यात्रा का अनुभव बेहतर होगा।

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