Kisan News: गर्मी में किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी! इस तरह करें ज्वार की खेती, होगा तगड़ा फायदा 

Kisan News: राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में बाजरे की खेती कम पानी, कम खाद और कम देखभाल में भी अच्छी उपज देती है। कृषि विशेषज्ञ गोपाल ढाका के अनुसार यह फसल कम लागत और मेहनत में अधिक मुनाफा देती है।

अगर किसान अपने खेत में नई फसल बोने की तैयारी कर रहे हैं तो बाजरे की फसल एक अच्छा विकल्प है। खासकर उन किसानों के लिए जहां बारिश कम होती है और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम है। यह फसल राजस्थान के शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रों में किसानों के लिए सहारा बनती है।

कृषि विशेषज्ञ और पिछले कई सालों

कृषि विशेषज्ञ और पिछले कई सालों से बाजरे की खेती कर रहे गोपाल ढाका ने बताया कि बाजरे की फसल कम पानी, कम खाद और कम देखभाल में भी अच्छी उपज देती है। उन्होंने बताया कि बाजरे की खेती अन्य फसलों से बेहतर है क्योंकि यह कठिन मौसम में भी जीवित रहती है। इसके अलावा किसानों को इसमें अन्य फसलों की तुलना में कम खर्च करना पड़ता है और अधिक मुनाफा मिलता है।

गोपाल ढाका ने बताया

गोपाल ढाका ने बताया कि बाजरे के भाव में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं होता है और कटाई के समय इसके भाव अच्छे रहते हैं। बाजरे के दाने के अलावा इसकी बाकी फसल भी चारे के रूप में काम आती है, जिसे किसान अपने पशुओं को खिला सकते हैं।

यह पशुओं के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। बाजरे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी खेती में मेहनत और लागत दोनों कम लगती है। यह फसल कम सिंचाई में भी अच्छी उपज देती है, जिससे इसे पानी की कमी वाले इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है।

कीटों और बीमारियों से सुरक्षित:

पिछले कई सालों से बाजरे की खेती कर रहे कृषि विशेषज्ञ गोपाल ढाका ने बताया कि बाजरे के पौधे ज्यादातर कीटों और बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं। इसके लिए कीटनाशकों और दवाओं पर खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा यह फसल जल्दी तैयार हो जाती है, करीब 75 से 90 दिन में यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इससे खेत जल्दी खाली हो जाता है और अगली फसल के लिए तैयार हो जाता है। इसकी सिंचाई की जरूरत भी बहुत कम होती है, फसल की कटाई सिर्फ बारिश आधारित खेती से ही की जा सकती है

बुवाई का सही समय:

राजस्थान में बाजरे की बुआई खरीफ सीजन में की जाती है और इसका सबसे अच्छा समय जून से जुलाई तक होता है, जब मानसून शुरू होता है। बुवाई से पहले खेत को 1-2 बार जोतकर समतल बना लें। बुवाई से पहले बीजों को फफूंदनाशक से उपचारित करना लाभदायक होता है, ताकि बीज जनित रोगों से बचाव हो सके।

बाजरा की बुवाई पंक्तियों में की जाती है। कृषि विशेषज्ञ गोपाल ढाका ने बताया कि बाजरा की बुवाई के समय पंक्तियों के बीच की दूरी 45 सेमी तथा पौधों के बीच की दूरी करीब 10-12 सेमी होनी चाहिए। इसके अलावा किसानों को एक हेक्टेयर में करीब 4-5 किलोग्राम बीज का प्रयोग करना चाहिए।

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