Tata Nano: 2008 का साल था जब Tata Motors ने भारत की कार इंडस्ट्री में एक ऐसा धमाका किया, जिसकी गूंज पूरी दुनिया ने सुनी। इस धमाके का नाम था – Tata Nano। इसे “₹1 लाख की कार” कहकर पेश किया गया और इसी एक लाइन ने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। Nano का मकसद बहुत साफ था – हर भारतीय परिवार के पास अपनी एक कार हो।
Nano एक ऐसी कार थी जिसे खासतौर पर बजट में रहने वाले लोगों के लिए बनाया गया था। छोटे शहरों, कस्बों और मिडल क्लास फैमिली के लिए यह सपना सच होने जैसा था। Nano को डिजाइन किया गया एक सिंपल और किफायती कार की तरह, जो भले ही साइज में छोटी हो, लेकिन दिल में बहुत बड़ी जगह बना ले। इसका बॉडी टाइप हैचबैक रखा गया और इसमें 0.6 लीटर का छोटा सा पेट्रोल इंजन दिया गया था, जो सिटी राइडिंग के लिए एकदम परफेक्ट था।
डिज़ाइन
Tata Nano का डिज़ाइन कुछ लोगों को भले ही बहुत सिंपल लगे, लेकिन इसके पीछे एक बहुत बड़ी सोच थी। यह कार बनी थी आम आदमी के लिए, जो बाइक से ऊपर और बड़ी कार से नीचे की जरूरत को पूरा करती थी। इसका ऊँचा टॉल-बॉय स्टाइल डिजाइन बाहर से भले ही छोटा लगता था, लेकिन अंदर बैठते ही एक खुला और स्पेशियस एहसास देता था।
फ्रंट में Nano को एक फ्रेंडली लुक दिया गया था – गोल हेडलैम्प्स, क्लीन बम्पर और बिना ज़्यादा शोर-शराबे वाला लुक। पीछे की ओर देखो तो छोटा बूट और खड़े टेल लाइट्स इसकी सादगी को बरकरार रखते हैं।
Nano की लंबाई भले ही छोटी थी, लेकिन इसका व्हीलबेस और डिज़ाइन ऐसा था कि सिटी की संकरी गलियों में घुसना एकदम आसान हो जाता था। बाद के मॉडल्स जैसे GenX Nano में थोड़ी बहुत स्टाइलिंग की गई – क्रोम टच, स्टाइलिश कलर ऑप्शंस और फ्रंट फेस को थोड़ा स्मार्ट बनाया गया।
इंजन
अब बात करें इसके दिल की – तो Nano का इंजन था 624cc का छोटा लेकिन भरोसेमंद पेट्रोल इंजन। यह दो सिलेंडर वाला इंजन करीब 38 पीएस की पावर और 51 Nm का टॉर्क देता था। अब भले ही ये आंकड़े बहुत छोटे लगें, लेकिन Nano को तेज भागने के लिए नहीं, बल्कि सिटी की डेली ड्राइव के लिए बनाया गया था।
सबसे खास बात ये थी कि इसका इंजन कार के पीछे की तरफ फिट किया गया था, जो भारतीय कारों में बहुत कम देखने को मिलता है। इससे आगे की सीटिंग और लेग स्पेस में अच्छा खासा फायदा मिला।
Nano कभी रेसिंग कार नहीं थी और ना ही उसका मकसद ये था। यह बस चार लोगों को आराम से, कम खर्च में, एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए बनी थी। बाद में Tata ने इसमें AMT (ऑटोमेटिक मैन्युअल ट्रांसमिशन) का ऑप्शन भी दिया ताकि शहर की ट्रैफिक में चलाना और भी आसान हो जाए।
ड्राइविंग
Nano की सबसे बड़ी ताक़त थी उसका छोटा साइज और हल्का वज़न। यही कारण था कि इस कार को चलाना सिटी में बहुत आसान था। टर्निंग रेडियस इतना कम था कि तंग गली या भीड़ भाड़ वाली पार्किंग में भी आसानी से घुमा सकते थे।
सस्पेंशन को बजट के हिसाब से ठीक-ठाक रखा गया था। बड़े गड्ढों पर झटका जरूर लगता था, लेकिन स्मूथ सड़कों पर राइड कंफर्टेबल रहती थी। हाईवे पर तेज हवा या स्पीड में Nano थोड़ा हल्का महसूस होता था, लेकिन शहर में चलाने के लिए ये कार एकदम चुपचाप, आसान और रिलैक्सिंग थी।
Nano का स्टीयरिंग लाइट था, ब्रेक्स ठीक-ठाक थे और कुल मिलाकर, किसी भी नए ड्राइवर के लिए यह एक बढ़िया शुरुआत करने वाली कार थी।
फीचर्स
शुरुआती Nano मॉडल्स में फीचर्स बहुत ही बेसिक रखे गए थे। डैशबोर्ड पर सेंटर में स्पीडोमीटर था, कोई एयरबैग नहीं, ABS नहीं और पावर स्टीयरिंग तक नहीं थी। लेकिन बाद में, जैसे-जैसे मॉडल अपडेट हुए, इनमें कुछ अच्छी चीज़ें जुड़ने लगीं।
Nano Twist और GenX Nano जैसे वेरिएंट्स में एयर कंडीशनिंग, पावर विंडोज, ब्लूटूथ म्यूज़िक सिस्टम, सेमी-डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर, रिमोट की और ओपन करने वाला बूट स्पेस भी शामिल हुआ।
हालांकि ये फीचर्स आज की कारों के मुकाबले बहुत बेसिक लग सकते हैं, लेकिन उस वक्त उस बजट में इतनी सुविधाएं मिलना वाकई एक बड़ा बदलाव था।
माइलेज
Nano का एक और बड़ा प्लस पॉइंट था – इसका माइलेज। यह कार सिटी में करीब 21–23 km/l और हाईवे पर हल्के चलाने पर 25 km/l तक का एवरेज दे देती थी। एक आम मिडल क्लास भारतीय के लिए यह सबसे बड़ी राहत थी।
इतना ही नहीं, Tata ने कुछ वेरिएंट्स में CNG का ऑप्शन भी दिया था जो और भी ज्यादा माइलेज देता था। Nano का मेंटेनेंस बहुत सस्ता था, इंजन छोटा था, पार्ट्स किफायती थे और चलाने का खर्च भी बहुत कम – इसीलिए जिनका डेली कम्यूट ज़्यादा था, उनके लिए Nano एक सही साथी साबित हुई।
कीमत
Nano का नाम लेते ही सबसे पहले जो याद आता है, वो है – इसकी शुरुआती कीमत। ₹1 लाख में मिलने वाली कार – ये बात अपने आप में इतनी बड़ी थी कि इसने भारत ही नहीं, पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया। इसे “The World’s Cheapest Car” कहा गया और ये सच भी था।
धीरे-धीरे जैसे-जैसे फीचर्स बढ़े, मॉडल्स अपग्रेड हुए – Nano CX, LX, Twist, और फिर GenX Nano जैसे वेरिएंट्स मार्केट में आए। कीमत थोड़ी बढ़ी जरूर, लेकिन फिर भी ये कार बाकी गाड़ियों के मुकाबले बहुत किफायती रही। एक समय पर टॉप वेरिएंट भी ₹2.5 लाख से नीचे ही मिल जाता था।